
पुणे, 8: जीवनभर सरल जीवनशैली अपनाकर आगे बढ़ने वाले राजनेता देश में बहुत कम हैं। सत्ता अहंकार करने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह जनता के लिए कार्य करने और उनकी समस्याओं का समाधान करने का मार्ग है। जो जनप्रतिनिधि इस भावना के साथ कार्य करते हैं, वे सफल होते हैं। राजनीति का मार्ग रेड कार्पेट जैसा दिखाई देता है, लेकिन यह उतार-चढ़ाव और चुनौतियों से भरा होता है। जो नेता सोच-समझकर आगे बढ़ते हैं, वे राजनीति में सही स्थान प्राप्त करते हैं। यह विचार लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने व्यक्त किए।
वे एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी, पुणे और एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट, पुणे द्वारा आयोजित 14वें भारतीय छात्र संसद के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रही थीं। इस अवसर पर एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष डॉ. विश्वनाथ दा. कराड अध्यक्षता कर रहे थे।
इस मौके पर उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, राजस्थान विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी, बोट कंपनी के सह-संस्थापक और उद्यमी अमन गुप्ता, भारतीय छात्र संसद के संस्थापक और एमआईटी डब्ल्यूपीयू के कार्याध्यक्ष डॉ. राहुल कराड, कुलपति डॉ. आर.एम. चिटणीस, और छात्र प्रतिनिधि पृथ्वीराज शिंदे, अपूर्वा भेगडे, नितीश तिवारी उपस्थित थे।
इस दौरान लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों ने ‘बेल ऑफ डेमोक्रेसी’ (लोकतंत्र की घंटी) बजाई। इस समारोह में सुमित्रा महाजन के हाथों सतीश महाना को आदर्श विधानसभा अध्यक्ष पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
युवाओं को राजनीति में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए
सुमित्रा महाजन ने कहा कि हम जीवन में कभी भी पूर्ण नहीं होते, इसलिए हमें हमेशा विद्यार्थी बने रहना चाहिए और नई चीजों का ज्ञान लेना चाहिए। देश के नागरिकों को खुशहाल रखने के लिए सही नीतियाँ बनानी होंगी और इसके लिए युवाओं को आगे आना होगा। देश के नागरिक समझदार हैं, वे अच्छे और बुरे का अंतर जानते हैं। सतीश महाना जैसे अच्छे नेताओं को पहचानकर उनका सम्मान करना एक सराहनीय पहल है।
सतीश महाना ने क्या कहा?
सतीश महाना ने कहा, “भारतीय छात्र संसद में सुमित्रा ताई महाजन के हाथों सम्मान मिलना मेरे लिए बहुत गर्व की बात है।” चुनाव के दिन नागरिकों को यह सोचना चाहिए कि वे अपने जनप्रतिनिधियों को क्यों चुन रहे हैं और परिणाम के बाद विधायकों को भी यह विचार करना चाहिए कि उन्हें जनता ने क्यों चुना। यदि ऐसा हुआ, तो आदर्श जनप्रतिनिधियों का निर्माण होगा। देश में अच्छे नेताओं को चुनना हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 2047 तक विकसित भारत का सपना साकार करने की जिम्मेदारी छात्र संसद में मौजूद युवा प्रतिनिधियों की है। यदि युवा सकारात्मक कार्य करेंगे, तो निश्चित रूप से हमारा देश विकसित भारत बनेगा।
डॉ. सी. पी. जोशी का विचार
डॉ. सी. पी. जोशी ने कहा कि “अच्छे लोगों को चुनना और उन्हें सम्मानित करना समाज के लिए प्रेरणादायक होता है। सात बार एक ही विधानसभा क्षेत्र से जीतना आसान नहीं है। उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को सम्मानित कर भारतीय छात्र संसद ने बहुत अच्छा कार्य किया है।”
डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने क्या कहा?
डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा कि “आज दुनिया में बहुत तनाव और अशांति है, ऐसे में पूरी दुनिया की नजर भारत पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दिशा में काम कर रहे हैं, लेकिन नागरिकों को भी इसमें आगे आकर योगदान देना होगा। भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए हमें जात-पात से ऊपर उठकर कार्य करना होगा। अध्यात्म और मूल्य-आधारित शिक्षा को साथ लेकर हमें आगे बढ़ना होगा, ताकि हम दुनिया को शांति का मार्ग दिखा सकें।”
डॉ. राहुल कराड ने क्या कहा?
डॉ. राहुल कराड ने कहा कि “इस संसद के माध्यम से लोकतंत्र को मजबूत किया जा रहा है और समाज में सुशासन स्थापित करने में योगदान दिया जा रहा है। राजनीति उतनी आसान नहीं होती, जितनी दिखती है। इसमें नेताओं को बहुत मेहनत करनी पड़ती है।” उन्होंने कहा कि राजनीति में उच्च शिक्षित युवा प्रतिनिधियों को आना चाहिए, इसी उद्देश्य से छात्र संसद की शुरुआत की गई है।
उन्होंने सुझाव दिया कि हर राज्य सरकार को युवा छात्र संसद शुरू करनी चाहिए, ताकि देश में भेदभाव समाप्त हो, सामाजिक समस्याएँ हल हों और भारत की प्रगति में तेजी आए।
डॉ. आर.एम. चिटणीस ने स्वागत भाषण दिया और डॉ. गौतम बापट ने मंच संचालन किया।
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सम्मान माँगने से नहीं, बल्कि आचरण से मिलता है
सुमित्रा महाजन ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को यह समझना चाहिए कि उन्हें क्या बोलना चाहिए और क्या नहीं। उन्हें यह भी सीखना चाहिए कि कैसे बोलना चाहिए और अपनी राय कैसे व्यक्त करनी चाहिए। नीतियों को बनाने और उन पर विचार रखने के लिए अच्छी वक्तृत्व कला आवश्यक होती है। उन्होंने लोकसभा का एक उदाहरण देते हुए कहा कि सम्मान माँगने से नहीं, बल्कि अपने आचरण से प्राप्त होता है।