
पुणे, 10 फरवरी: संवाद दो व्यक्तियों, वर्गों और समुदायों के बीच एक सेतु का कार्य करता है। सभ्य समाज में संवाद के माध्यम से ही विवादों को सुलझाया जा सकता है, और संवाद के द्वारा ही लोकतंत्र की धमनियों में रक्त प्रवाहित होता रहता है। ऐसे विचार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने व्यक्त किए।
वे राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन, भारत द्वारा एमआईटी डब्ल्यूपीयू में विधायकों के लिए आयोजित “कानून निर्माताओं के लिए नेतृत्व क्षमता निर्माण कार्यक्रम” के समापन समारोह में ‘स्ट्रेटेजिक कम्युनिकेशन: मीडिया को प्रभावी ढंग से संभालना’ विषय पर मार्गदर्शन कर रहे थे।
इस अवसर पर मेघालय विधानसभा अध्यक्ष थॉमस संगमा, महाराष्ट्र विधान परिषद के अध्यक्ष प्रो. राम शिंदे, महाराष्ट्र विधान परिषद की उपसभापति डॉ. नीलम गोरखे, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के पूर्व निदेशक संजीव चोपड़ा, मार्केटिंग और ब्रांडिंग विशेषज्ञ सिद्धार्थ नारायण, सम्मेलन के संस्थापक निमंत्रक डॉ. राहुल विश्वनाथ कराड, कुलपति डॉ. आर.एम. चिटणीस और डॉ. परिमल माया सुधाकर उपस्थित थे।
इस अवसर पर एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट के पूर्व छात्र और विधायक हेमंत ओगले को विशेष सम्मान प्रदान किया गया। साथ ही, सम्मेलन में भाग लेने वाले विधायकों को प्रमाण पत्र भी दिए गए।
संवाद और लोकतंत्र
पवन खेड़ा ने कहा कि राजनीति में संवाद अत्यंत आवश्यक है। जब लोग एक-दूसरे के दृष्टिकोण और विचारों को समझते हैं, तभी समाज गतिशील बना रहता है। देश में कई विचारधाराएँ और मत प्रवाह हैं, और प्रत्येक विचार मूल्यवान है। मन को खुला रखकर विचारों को आत्मसात करना चाहिए। बोलने से ज्यादा महत्वपूर्ण सुनना होता है। सुनने की क्षमता विकसित करने से वाणी प्रभावी होती है। जो नेता सुनना नहीं जानते, वे लंबे समय तक जनता का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते। यही लोकतंत्र की ताकत है। इसलिए, यदि जनप्रतिनिधि अपने मतदाताओं को सुनेंगे, तो उनका, उनकी पार्टी का और पूरे समाज का भविष्य उज्ज्वल होगा।
विधायकों के लिए संसदीय साधनों का महत्व
महाराष्ट्र विधान परिषद की उपसभापति डॉ. नीलम गोरखे ने कहा कि विधानसभा में जनहित के मुद्दे उठाने के लिए विधायकों के पास 16-17 प्रकार के संसदीय उपकरण होते हैं, जिनमें तारांकित प्रश्न, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव और स्थगन प्रस्ताव शामिल हैं। यदि इनका सही और प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाए, तो जनता की समस्याओं का समाधान किया जा सकता है और उन्हें न्याय मिल सकता है।
विधायकों के संवाद के लिए राष्ट्रीय मंच की जरूरत
महाराष्ट्र विधान परिषद के अध्यक्ष प्रो. राम शिंदे ने कहा कि विभिन्न राज्यों के विधायकों के बीच संवाद और विचारों के आदान-प्रदान को सुगम बनाने के उद्देश्य से एमआईटी द्वारा शुरू की गई यह पहल सराहनीय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा संकल्पित “वन नेशन, वन प्लेटफॉर्म” पहल को एमआईटी जैसी शैक्षणिक संस्थाओं से सीधा और अप्रत्यक्ष समर्थन मिल रहा है।
सक्षम जनप्रतिनिधियों की आवश्यकता
डॉ. राहुल विश्वनाथ कराड ने कहा कि बदलते समय में सक्षम जनप्रतिनिधि तैयार करने के लिए शिक्षा आवश्यक है। इसी उद्देश्य से एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट ने सात राज्यों की विधानसभाओं के साथ समझौते किए हैं, जिसके माध्यम से यह संस्था उच्च गुणवत्ता वाले राजनीतिक नेतृत्व के विकास में योगदान दे रही है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और सुशासन के नए मॉडल उभर रहे हैं और देश के लोकतांत्रिक और सांस्कृतिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए एक राष्ट्रीय मंच तैयार किया जा रहा है।
राजनीतिक नेतृत्व में युवाओं के लिए छात्रवृत्ति
एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट ने इस अवसर पर छात्रवृत्तियों की घोषणा की। इसके तहत, विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्र से जिन युवाओं को नामांकित करेंगे, उन्हें राजनीतिक नेतृत्व और प्रशासन में दो वर्षीय एम.ए. पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए प्रतिवर्ष 55,000 रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी।
इसके बाद, सिद्धार्थ नारायण ने ‘स्ट्रेटेजिक कम्युनिकेशन: सोशल मीडिया का प्रभावी उपयोग’ विषय पर मार्गदर्शन दिया।