
हिंगोली(महाराष्ट्र): एक समय था जब वकीलों को तीन बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता था—उन्हें कोई कर्ज नहीं देता था, कोई उन्हें किराए पर मकान नहीं देता था, और शादी के लिए उन्हें लड़की भी नहीं मिलती थी। हालांकि, वकीलों की सहकारी संस्था (पतसंस्था) की मदद से पहले दो समस्याएं हल हो गई हैं, ऐसा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति भूषण गवई ने कहा।
हिंगोली जिले के जिला और सत्र न्यायालय की नई इमारत के उद्घाटन और प्रमुख जिला एवं सत्र न्यायालय के लोकार्पण समारोह का आयोजन 22 फरवरी को किया गया। यह उद्घाटन सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति भूषण गवई के हाथों संपन्न हुआ। इस दौरान उन्होंने यह बात कही।
महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल के सदस्य सतीश देशमुख द्वारा वकीलों के लिए शुरू की गई सहकारी संस्था का जिक्र करते हुए न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि पहले वकीलों और सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को हमेशा तीन समस्याओं से जूझना पड़ता था—उन्हें कोई कर्ज नहीं देता था, किराए पर घर नहीं मिलता था और शादी के लिए लड़की नहीं मिलती थी।
उन्होंने आगे कहा कि सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को भी किराए पर घर लेने में काफी दिक्कतें होती थीं, यह भी मैंने सुना है। लेकिन सतीश देशमुख ने इस सहकारी संस्था की शुरुआत कर दो समस्याओं का समाधान कर दिया है।
न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि वकीलों और न्यायाधीशों को हमेशा सीखते रहना पड़ता है। उनके लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम होते रहते हैं और यह प्रशिक्षण एक आंदोलन की तरह चलाया जाना चाहिए।
इस कार्यक्रम में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति प्रसन्ना वराले, बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आलोक आराधे, न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे, न्यायमूर्ति नितिन सांबरे, न्यायमूर्ति खोब्रागड़े, न्यायमूर्ति मंगेश पाटील, परभणी के प्रमुख जिला एवं सत्र न्यायाधीश उज्ज्वला नंदेश्वर और हिंगोली के प्रमुख जिला एवं सत्र न्यायाधीश तुफानसिंह अकाली भी उपस्थित थे।