
महाशिवरात्रि का पर्व आध्यात्मिक ऊर्जा को जागृत करने और शिवशक्ति की आराधना के लिए विशेष महत्व रखता है। यह रात्रि भगवान शिव को समर्पित होती है, जिन्हें सभी देवताओं ने “महादेव” की संज्ञा दी है। शिव, जिन्हें महादानी कहा जाता है, ने ही कुबेर को धन के संरक्षक के रूप में नियुक्त किया था। यही वह शिव हैं जिनकी पूजा श्रीराम ने की और रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई। पांडवों की भक्ति से प्रसन्न होकर शिव ने केदारनाथ में वास किया।
भगवान शिव विभिन्न स्वरूपों में पूजे जाते हैं। उड़ीसा में लिंगराज के रूप में वे हरि-हर (शिव-विष्णु) स्वरूप में विराजते हैं। तांडव नृत्य से लेकर अर्धनारीश्वर तक, शिव का हर रूप गहन आध्यात्मिक संदेश देता है। गजानन गणेश को प्रथम पूज्य बनाने से लेकर, कालकूट विष का पान कर सृष्टि की रक्षा करने तक, शिव की करुणा और त्याग अद्वितीय हैं।
शिव परिवार: प्रेम और सौहार्द्र का प्रतीक
शिव परिवार में विविधता और सामंजस्य का अद्भुत संदेश छिपा है। जहां शिव का वाहन नंदी बैल है, वहीं माता पार्वती का वाहन सिंह है। गणेश मूषक पर सवार होते हैं, और कार्तिकेय मयूर पर। सर्प, मूषक, मोर, सिंह—जो जातिगत रूप से शत्रु माने जाते हैं—शिव परिवार में एक साथ रहते हैं, यह सौहार्द्र और प्रेम का प्रतीक है।
शिव उपासना की सरलता
शिव आराधना में किसी विशेष संसाधन की आवश्यकता नहीं होती। वे मात्र जलधारा से प्रसन्न हो जाते हैं। पार्थिव शिवलिंग की पूजा, जिसमें मिट्टी से शिवलिंग बनाकर उसे जल में प्रवाहित कर दिया जाता है, सबसे सरल और फलदायी मानी गई है। शिव ध्यान और आत्मसंयम का भी प्रतीक हैं, जिन्होंने विष ग्रहण कर संसार की रक्षा की।
शिवरात्रि: भक्ति और ऊर्जा का पर्व
महाशिवरात्रि को शिव और शक्ति के मिलन का पर्व कहा जाता है। शिव-पार्वती का विवाह, भक्ति और निष्ठा का सर्वोच्च उदाहरण है। गृहस्थ जीवन में आदर्श परिवार का प्रतीक बनने वाले शिव-पार्वती हमें प्रेम, समर्पण और संतुलन का पाठ पढ़ाते हैं।
शिव महिमा: भक्ति का श्रेष्ठ रूप
शिव स्तुतियों में शिव महिम्न स्तोत्र को सबसे प्रभावशाली माना गया है। इसे गंधर्व पुष्पदंत ने रचा था, जिसमें कहा गया है कि शिव से श्रेष्ठ कोई देव नहीं और शिव महिम्न स्तोत्र से श्रेष्ठ कोई स्तुति नहीं। शिव को प्रसन्न करने के लिए महाशिवरात्रि सबसे उपयुक्त अवसर है।
महाशिवरात्रि: आत्मिक जागरण का संदेश
महाशिवरात्रि पर शिवशक्ति की उपासना से हम अपने जीवन में नई ऊर्जा, आशा, उत्साह और आनंद का संचार कर सकते हैं। शिव आनंदस्वरूप हैं, और उनका अनुसरण कर जीवन में प्रेम, ज्ञान और संतुलन की धारा प्रवाहित की जा सकती है। शिवशक्ति का अर्धनारीश्वर स्वरूप इस बात को दर्शाता है कि जीवन में पुरुष और स्त्री दोनों का समान महत्व है।
इस महाशिवरात्रि, आइए हम शिवशक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करें और अपने जीवन को आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाएं।
(रिपोर्ट: रीना रवि मालपानी, कवयित्री एवं लेखिका)