पुणे: लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने केम्ब्रिज में दिए भाषण में कहा कि भारत एक राष्ट्र नहीं है, बल्कि एक संघ राज्य है। लेकिन भारत के संविधान की प्रस्तावना में ही राष्ट्र का स्पष्ट उल्लेख है। राहुल गांधी को संविधान सिखाना चाहिए, ऐसा तीखा मत पूर्व आईएएस अधिकारी अविनाश धर्माधिकारी ने व्यक्त किया।
धर्माधिकारी पूर्व पुणे के मंगलवार पेठ में 6 नवंबर को प्रबोधन मंच, श्री सिद्धेश्वर मंदिर ट्रस्ट, सजग रहो अभियान द्वारा आयोजित ‘संविधान और राजनीतिक हिंदुत्व’ नामक मतदाता जागरूकता कार्यक्रम में बोल रहे थे।
धर्माधिकारी ने कहा, “शेख हसीना को बांग्लादेश से भागना पड़ा है। यह भारत के लिए एक सबक है। पाकिस्तान और बांग्लादेश, दोनों देशों का संविधान इस्लामिक है और वहां के कई कानून मानवता विरोधी हैं। विभाजन के समय पाकिस्तान में 10 प्रतिशत हिंदू थे, जो अब लगभग समाप्त हो गए हैं। विभाजन के समय बांग्लादेश में 30 प्रतिशत हिंदू थे, आज केवल 8 प्रतिशत बचे हैं। जबकि भारत में विभाजन के समय मुसलमान 9 प्रतिशत थे, जो अब बढ़कर 14 प्रतिशत हो गए हैं। कुछ राजनीतिक दल मुस्लिमों के लिए आरक्षित सीटों की मांग कर रहे हैं, जो संविधान विरोधी है। इसलिए हिंदुओं को लापरवाह नहीं रहना चाहिए। अगर मुस्लिम सामूहिक रूप से मुस्लिम पहचान के आधार पर मतदान करते हैं तो इसे संवैधानिक अधिकार कहा जाता है, लेकिन हिंदू अपनी पहचान के आधार पर मतदान करें तो उसे बहुसंख्यकवाद कहा जाता है, यह पाखंड है।”
“समान नागरिक संहिता को तुरंत लागू करने की आवश्यकता है। समान नागरिक संहिता की मांग डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने भी की थी। संविधान बनाने के दौरान जहां-जहां डॉ. आंबेडकर की बात मानी गई, वहां-वहां भारत को लाभ हुआ है। धारा 370 का डॉ. आंबेडकर ने कड़ा विरोध किया था। धारा 370 को रद्द करने वाली सरकार ही असल में संविधानवादी है। 1975 में जब देश में आपातकाल लगाया गया, तब संविधान खतरे में पड़ गया था,” धर्माधिकारी ने कहा।
पूर्व सांसद प्रदीप रावत ने इस मौके पर कहा, “अरबों ने भारत पर कई आक्रमण किए और हमारी हजारों साल पुरानी समृद्ध संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास किया। हमारी संस्कृति को बचाने के लिए हिंदू पूर्वजों ने संघर्ष किया। यदि छत्रपति शिवाजी महाराज नहीं होते तो यह हजारों साल का संघर्ष व्यर्थ चला जाता। शिवाजी ने अपने शस्त्रों का प्रयोग किया, और आज संविधान ने हमें एक शस्त्र दिया है—हमारा मत। हमें राजनीतिक हिंदुत्व के लिए सौ प्रतिशत मतदान करना चाहिए।”
“भारत में जो प्रबोधन युग आया, उसकी वजह से हिंदू समाज ने अपने भीतर झांकना शुरू किया और अपने दोषों को पहचाना। प्रबोधन युग के महान पुरुषों का कहना था कि हिंदू समाज की जातीय एकता एक है, लेकिन भावनात्मक एकता भी होनी चाहिए। डॉ. आंबेडकर कहते थे कि हिंदू समाज एक बहुमंजिला इमारत की तरह है, लेकिन इसमें ऊपर और नीचे जाने के लिए सीढ़ी नहीं है। यह सीढ़ी प्रबोधन युग ने प्रदान की। भारतीय संविधान इसी प्रबोधन युग की संतान है। संविधान भारत में इसलिए टिका है क्योंकि यहां बहुसंख्यक हिंदू समाज है। इसलिए यदि आज के हिंदुस्तान को बचाना है और सहिष्णु संस्कृति को जीवित रखना है, तो राजनीतिक हिंदुत्व को मजबूत रखना होगा। जब राजनीतिक हिंदुत्व कमजोर होता है, तो सांस्कृतिक हिंदुत्व भी सिकुड़ता है,” रावत ने कहा।
इस अवसर पर आंबेडकरी आंदोलन की वरिष्ठ कार्यकर्ता एडवोकेट वैशाली चांदणे मंच पर उपस्थित थीं। सायली काणे के कलाश्री नृत्य विद्यालय के कलाकारों ने मतदाता जागरूकता नृत्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन रोहित धायरकर ने किया। सुमित डोले ने प्रस्तावना रखी। विजय दरेकर ने संविधान की प्रस्तावना का वाचन किया। श्री सिद्धेश्वर मंदिर ट्रस्ट के बालासाहेब पटोले ने धन्यवाद ज्ञापित किया। प्रबोधन मंच के स्वप्नील कत्तूर ने कार्यक्रम का आयोजन किया।