
रामदास तांबे
पुणे – पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका क्षेत्र में “स्मार्ट सिटी”, “अर्बन स्ट्रीट”, “ग्रीन सिटी” जैसे आकर्षक नामों के तहत पथारी, हाथगाड़ी, स्टॉल धारकों पर अन्यायपूर्ण और अमानवीय कार्रवाई की जा रही थी। उनके सामान जब्त कर उन्हें हटाया जा रहा था। इस अन्यायपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ महाराष्ट्र फेरीवाला क्रांति महासंघ के अध्यक्ष काशीनाथ नखाते ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सुनवाई के बाद माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इस कार्रवाई पर रोक लगा दी, जिससे शहर के 19,792 विक्रेताओं को राहत मिली।
इस फैसले का स्वागत भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। शहर के पथारी, हाथगाड़ी और टपरी धारकों ने ढोल-ताशों की गूंज के बीच गुलाल उड़ाकर खुशी जाहिर की।
इस अवसर पर मजदूर नेता काशीनाथ नखाते, स्वराज अभियान के महाराष्ट्र प्रदेशाध्यक्ष मानव कांबले, संभाजी ब्रिगेड के शहराध्यक्ष सतीश काले, सामाजिक कार्यकर्ता अरुण थोपटे, गोसेवा मंडल ट्रस्ट के देवाजी जाट, रमाई स्मारक के धुराजी शिंदे, शांताराम खुडे, महासंघ के संयोजक अनिल बारवकर, कार्याध्यक्ष इरफान चौधरी, सचिन नागणे, पथविक्रेता समिति के सदस्य किरण साडेकर, किसन भोसले, राजू बिराजदार, अलका रोकडे, प्रल्हाद कांबले, सलीम डांगे, गणेश आहेर, तुषार घाटूळे, सिद्धनाथ देशमुख, बालाजी लोखंडे, परमेश्वर बिराजदार, वृषाली पाटणे, माधुरी जलमुलवार, नंदा तेलगोटे, युवराज निळवर्ण, रज्जाक शेख, सूरज देशमाने, बरगल्ली गावडे, संभाजी वाघमारे, अंबालाल सुखवाल, सुनील भोसले, नंदू आहेर, रविंद्र गायकवाड़, रेखा कागे, शीतल धनगर, नवनाथ जगताप आदि उपस्थित थे।
“हमारा संघर्ष जारी रहेगा” – काशीनाथ नखाते
इस अवसर पर काशीनाथ नखाते ने कहा कि पिंपरी-चिंचवड़ शहर के 8 क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से बेहद अमानवीय तरीके से कार्रवाई की जा रही थी। कई विक्रेताओं ने कर्ज लिया था, लेकिन इस कार्रवाई के कारण उनके लिए किस्तें भरना मुश्किल हो गया था। एक ओर धनाढ्यों को संरक्षण दिया जाता है, और दूसरी ओर पथ विक्रेताओं को खत्म करने की कोशिश की जा रही थी। हमने फेरीवाला प्रमाणपत्र, पहचान पत्र, फर्जी सर्वेक्षण, हॉकर्स जोन की निष्क्रियता जैसे मुद्दे न्यायालय में उठाए। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि जब तक सभी 19,792 विक्रेताओं को कानूनी रूप से पहचान पत्र और हॉकर्स जोन नहीं दिए जाते, तब तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की खंडपीठ ने दिया है।
इस फैसले से शहर के लगभग 30,000 पथ विक्रेताओं को राहत मिली है। पिंपरी-चिंचवड़ में फेरीवाले महानगरपालिका की दंडात्मक कार्रवाई से भयभीत थे। जब वे प्रमाणपत्र दिखाते थे, तब अधिकारी उन्हें नजरअंदाज कर सामान जब्त कर लेते थे। अब यह अन्यायपूर्ण कार्रवाई रोक दी गई है, और हम सुनिश्चित करेंगे कि विक्रेताओं को कानूनन लाभ मिले।
“लड़ाई अभी बाकी है” – मानव कांबले
स्वराज अभियान के महाराष्ट्र प्रदेशाध्यक्ष मानव कांबले ने कहा कि फेरीवाला समुदाय बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन महानगरपालिका उनकी उचित योजना बनाए बिना गलत तरीके से कार्रवाई कर रही है। यह मुद्दा कई वर्षों से लंबित था। हम लंबे समय से इस संघर्ष में थे, और आज इस निर्णय से समाधान की शुरुआत हुई है। लेकिन हमें यहीं नहीं रुकना चाहिए, बल्कि आगे भी मजबूती से लड़ाई जारी रखनी होगी। मैं महाराष्ट्र फेरीवाला क्रांति महासंघ और उनकी पूरी टीम को बधाई देता हूं।
“हम शांत नहीं बैठेंगे” – काशीनाथ नखाते
हम लगभग 22 वर्षों से गरीब, वंचित और पीड़ित फेरीवाला समुदाय के लिए लड़ रहे हैं। महानगरपालिका के अधिकारी और पुलिस प्रशासन फेरीवाला कानून को नकारते हुए दंडात्मक कार्रवाई कर रहे हैं और उनका रोजगार छीनने का प्रयास कर रहे हैं। इसलिए हमने सुप्रीम कोर्ट में न्याय की गुहार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने हमें राहत दी है, लेकिन हमारी सड़क और न्यायालय की लड़ाई उतनी ही प्रखरता से जारी रहेगी। जब तक हॉकर्स जोन बनाकर फेरीवालों का जीवन सुरक्षित नहीं किया जाता, तब तक हम शांत नहीं बैठेंगे।
महानगरपालिका को पथ विक्रेता समिति के माध्यम से जल्द से जल्द काम पूरा करना चाहिए। यह जीत फेरीवालों की एकजुटता का परिणाम है।
– काशीनाथ नखाते, अध्यक्ष, महाराष्ट्र फेरीवाला क्रांति महासंघ