
पुणे – कांग्रेस के पूर्व मंत्री सुरेश कलमाडी को कॉमनवेल्थ भ्रष्टाचार मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से क्लीन चिट मिलने के बाद कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया। वर्ष 2010 में हुए कॉमनवेल्थ घोटाले को लेकर सुरेश कलमाडी पर राजनीतिक आरोप लगे थे। इसके बाद उनका राजनीतिक करियर लगभग खत्म हो गया था। लेकिन करीब 15 साल बाद ईडी ने इस मामले में क्लोज़र रिपोर्ट अदालत में पेश की है। रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद पुणे में कार्यकर्ताओं ने खुशी जताई।
15 साल पुराने इस मामले पर पर्दा डालते हुए दिल्ली की अदालत ने सोमवार को वर्ष 2010 के कॉमनवेल्थ खेल आयोजन समिति के पूर्व प्रमुख सुरेश कलमाडी, तत्कालीन महासचिव ललित भनोट और अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है।
2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन में भ्रष्टाचार के आरोपों से राजनीतिक हलकों में भारी हलचल मच गई थी। इस मामले में कई आपराधिक और मनी लॉन्ड्रिंग के केस दर्ज किए गए थे। दो महत्वपूर्ण ठेके देने और उनके क्रियान्वयन में सुरेश कलमाडी समेत अन्य पर गड़बड़ी के आरोप थे। विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने कहा कि सीबीआई पहले ही भ्रष्टाचार का मामला बंद कर चुकी है। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच की और रिपोर्ट को अदालत ने स्वीकार कर लिया है।
सीबीआई ने क्या कहा?
सीबीआई द्वारा दर्ज मामले के आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी।
सीबीआई के अनुसार, कॉमनवेल्थ से जुड़ी परियोजनाओं के ठेके गेम्स वर्कफोर्स सर्विस (GWS) और गेम्स प्लानिंग, प्रोजेक्ट एंड रिस्क मैनेजमेंट सर्विसेज (GPPRMS) को दिए गए थे।
आरोप था कि आरोपियों ने जानबूझकर और गलत तरीके से ईकेएस और अर्न्स्ट एंड यंग की साझेदारी को दोनों ठेके दिए, जिससे उन्हें अनुचित आर्थिक लाभ हुआ। इसके चलते आयोजन समिति और कॉमनवेल्थ को 30 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
जनवरी 2014 में सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी, जिसमें कहा गया कि जांच में कोई आपराधिक सबूत नहीं मिले और एफआईआर में लगाए गए आरोप सिद्ध नहीं हो सके।
मामला क्या था? 2010 में दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स (CWG) का आयोजन किया गया था। इसके लिए कई प्रकार के कार्य और ठेके दिए गए थे। उस समय विपक्ष ने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और आर्थिक अनियमितताओं के आरोप लगाए थे। इसके आधार पर सीबीआई और ईडी ने स्वतंत्र जांच शुरू की थी। इस मामले में कॉमनवेल्थ गेम्स आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाडी, महासचिव ललित भनोट और अन्य अधिकारियों को आरोपी बनाया गया था। उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए थे।