दिल्ली: विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) प्रतिवर्ष विश्व बौद्धिक संपदा संकेतक (डब्ल्यूआईपीआई) रिपोर्ट प्रकाशित करता है, जो बौद्धिक संपदा फाइलिंग में वैश्विक रुझानों का व्यापक विश्लेषण प्रदान करती है। 2024 की रिपोर्ट प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में पेटेंट, ट्रेडमार्क और औद्योगिक डिजाइन की वृद्धि और विकास पर प्रकाश डालती है, जिसमें उभरते बाजारों और नवाचार केंद्रों पर विशेष ध्यान दिया गया है। इन अर्थव्यवस्थाओं के बीच, भारत वैश्विक आईपी परिदृश्य में तेजी से बढ़ते खिलाड़ी के रूप में खड़ा है, जिसने सभी तीन प्रमुख आईपी श्रेणियों- पेटेंट, ट्रेडमार्क और औद्योगिक डिजाइन में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
भारत ने पेटेंट, ट्रेडमार्क और औद्योगिक डिजाइन के लिए शीर्ष 10 देशों में स्थान हासिल करके बौद्धिक संपदा फाइलिंग में वैश्विक नेता के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। यह उपलब्धि भारत की बढ़ती नवाचार क्षमता को रेखांकित करती है, देश पेटेंट आवेदनों, ब्रांड संरक्षण और डिजाइन नवाचारों में उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है। 2024 की रिपोर्ट में सबसे उल्लेखनीय निष्कर्षों में से एक वैश्विक आईपी परिदृश्य में भारत का असाधारण प्रदर्शन है। भारत ने 2023 में पेटेंट आवेदनों में अभूतपूर्व +15.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जिससे लगातार पांचवें वर्ष दो-अंकों (दस से ऊपर) की वृद्धि जारी रही। यह उछाल भारत को वैश्विक पेटेंट फाइलिंग में योगदान देने वाले शीर्ष देशों में रखता है, जो वैश्विक नवाचार केंद्र के रूप में देश की बढ़ती भूमिका का संकेत देता है। कोविड-19 संकट के दौरान आईपी फाइलिंग का लचीलापन आर्थिक सुधार और विकास को आगे बढ़ाने में बौद्धिक संपदा के स्थायी महत्व को रेखांकित करता है।
पेटेंट आवेदनों की वैश्विक रैंकिंग में भारत की शानदार वृद्धि:
वर्ष 2023 में 64,480 पेटेंट फाइलिंग के साथ भारत अब पेटेंट आवेदनों के मामले में विश्व स्तर पर छठे स्थान पर है। इससे बौद्धिक संपदा गतिविधि के मामले में भारत ने चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया सहित अग्रणी देशों में जगह बना ली है। वैश्विक पेटेंट रैंकिंग में भारत की वृद्धि इसकी विशाल और विविध अर्थव्यवस्था को देखते हुए विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जिसमें कृषि जैसे पारंपरिक क्षेत्रों से लेकर फार्मास्यूटिकल्स, सूचना प्रौद्योगिकी और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे अत्याधुनिक उद्योग शामिल हैं।
रेजिडेंट फाइलिंग लीड:
इतिहास में पहली बार, 2023 में भारत के आधे से अधिक (55.2 प्रतिशत) पेटेंट आवेदन निवासियों द्वारा दायर किए गए, जो महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। यह भारत की बढ़ती घरेलू नवाचार क्षमताओं को दर्शाती है, भारतीय कंपनियां, विश्वविद्यालय और अनुसंधान संस्थान अब नई प्रौद्योगिकियों और बौद्धिक संपदा पैदा करने में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। यह प्रवृत्ति नवाचार-अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) नीति और आत्मनिर्भर भारत अभियान जैसी पहल के माध्यम से स्थानीय अन्वेषकों का समर्थन करने के सरकार के प्रयासों की प्रभावशीलता को दर्शाती है।
पेटेंट अनुदान में वृद्धि:
भारत में पिछले वर्ष की तुलना में 2023 में दिए गए पेटेंट की संख्या में 149.4 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। स्वीकृत पेटेंटों में यह तीव्र वृद्धि आवेदनों को प्रोसेस करने और आईपी अधिकार प्रदान करने में भारत के पेटेंट कार्यालय की दक्षता को रेखांकित करती है। यह दायर किए जा रहे आवेदनों की बढ़ती गुणवत्ता को भी दर्शाता है, जिसमें कई नवाचार वैश्विक मानकों को पूरा करते हैं। यह प्रगति तकनीकी और वैज्ञानिक विकास के केंद्र के रूप में भारत की बढ़ती परिपक्वता का प्रतीक है।
पेटेंट-से-जीडीपी अनुपात:
भारत का पेटेंट-से-जीडीपी अनुपात – पेटेंट गतिविधि के आर्थिक प्रभाव का माप – उल्लेखनीय रूप से बढ़ गया, जो 2013 में 144 से बढ़कर 2023 में 381 हो गया। इसका मतलब है कि जैसे-जैसे भारत की अर्थव्यवस्था का विस्तार हो रहा है, इसकी पेटेंट गतिविधि भी साथ-साथ बढ़ रही है, जो आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में नवाचार के महत्व में वृद्धि का संकेत है। उच्च पेटेंट-से-जीडीपी अनुपात को अक्सर ज्ञान-संचालित अर्थव्यवस्था के संकेत के रूप में देखा जाता है, जहां नवाचार और बौद्धिक संपदा आर्थिक विकास में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं।
औद्योगिक डिज़ाइन आवेदनों में उछाल
रिकॉर्ड वृद्धि:
वर्ष 2023 में भारत के औद्योगिक डिजाइन आवेदनों में 36.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे रचनात्मकता, डिजाइन और विनिर्माण नवाचार पर देश के विस्तार पर और जोर दिया गया। यह वृद्धि उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, फैशन और स्वास्थ्य सेवा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सौंदर्य और कार्यात्मक डिजाइन पर अधिक बल को दर्शाती है। डिज़ाइन आवेदनों में वृद्धि न केवल विनिर्माण बल्कि उत्पाद विकास और मूल्य वर्धित उद्योगों में भी भारत की बढ़ती क्षमताओं का संकेत है।
क्षेत्रीय फोकस:
भारत की औद्योगिक डिज़ाइन फाइलिंग का नेतृत्व कपड़ा और सहायक चीजों, उपकरण और मशीनें, और स्वास्थ्य और प्रसाधन सामग्री जैसे प्रमुख क्षेत्रों ने किया। सभी डिज़ाइन फाइलिंग में इन क्षेत्रों का हिस्सा लगभग आधा था, जो कपड़े जैसे पारंपरिक उद्योगों और स्वास्थ्य और सौंदर्य प्रसाधन जैसे उभरते क्षेत्रों में भारत की ताकत को रेखांकित करता है। कपड़ा और फैशन क्षेत्र, विशेष रूप से, भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नवीन उत्पाद डिजाइनों की बढ़ती मांग से लाभान्वित होते हैं।
भारत के विनिर्माण पर प्रभाव:
औद्योगिक डिज़ाइन आवेदनों में वृद्धि भारत के विनिर्माण क्षेत्र में चल रहे परिवर्तन को उजागर करती है। जैसे-जैसे उद्योग उत्पाद सौंदर्यशास्त्र, कार्यक्षमता और उपयोगकर्ता अनुभव पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, भारत का विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र बुनियादी उत्पादन से परे अधिक मूल्य-वर्धित, डिज़ाइन-संचालित उद्योगों में विविधता ला रहा है। डिज़ाइन आवेदनों में वृद्धि इस बात का स्पष्ट संकेत है कि देश खुद को ऐसे वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में कैसे स्थापित कर रहा है जो नवाचार, गुणवत्ता और डिज़ाइन उत्कृष्टता को प्राथमिकता देता है।
वैश्विक रुझानों से तुलना:
वैश्विक आईपी फाइलिंग रुझानों की तुलना में औद्योगिक डिजाइन आवेदनों में भारत की वृद्धि उल्लेखनीय है। जबकि चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों का पेटेंट और ट्रेडमार्क क्षेत्र में दबदबा कायम है, औद्योगिक डिजाइन में भारत के बढ़ते आंकड़े उत्पाद डिजाइन और रचनात्मकता में इसकी बढ़ती प्रतिस्पर्धा को दर्शाते हैं। यह व्यापक वैश्विक रुझानों के अनुरूप है जहां देश आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और बाजार में उत्पाद अंतर को बढ़ाने के लिए रणनीतिक संपत्ति के रूप में औद्योगिक डिजाइन में अधिक निवेश कर रहे हैं।
ट्रेडमार्क फाइलिंग: वैश्विक नेता
वैश्विक ट्रेडमार्क रैंकिंग:
पिछले वर्ष की तुलना में 6.1 प्रतिशत की वृद्धि के साथ, भारत 2023 में ट्रेडमार्क फाइलिंग में विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर रहा। यह वृद्धि व्यावसायिक सफलता के आवश्यक चालकों के रूप में ब्रांड संरक्षण और बौद्धिक संपदा पर भारत के बढ़ते जोर को रेखांकित करती है। भारत की रैंकिंग देश में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय व्यवसायों की बढ़ती संख्या को दर्शाती है, जो सभी अपने ब्रांडों की सुरक्षा और उपभोक्ता विश्वास सुनिश्चित करने के लिए ट्रेडमार्क पर निर्भर हैं।
रेजिडेंट फाइलिंग हावी:
2023 में भारत की लगभग 90 प्रतिशत ट्रेडमार्क फाइलिंग भारतीय निवासियों द्वारा की गई, जो ब्रांड सुरक्षा पर मजबूत घरेलू फोकस को दर्शाती है। यह बदलाव बताता है कि भारतीय व्यवसाय, उद्यमी और स्टार्टअप अधिक आईपी-प्रेमी बन रहे हैं और अपने नवाचारों और ब्रांडों की सुरक्षा के लिए ट्रेडमार्क प्रणाली का तेजी से लाभ उठा रहे हैं।
सक्रिय ट्रेडमार्क पंजीकरण:
32 लाख से अधिक ट्रेडमार्क के साथ, भारत में अब दुनिया में सक्रिय ट्रेडमार्क पंजीकरण की दूसरी सबसे बड़ी संख्या है। यह अत्यधिक सक्रिय और प्रतिस्पर्धी घरेलू बाज़ार को इंगित करती है, जहां व्यवसाय न केवल नए उत्पाद बना रहे हैं बल्कि अपनी ब्रांड पहचान की रक्षा के लिए भी लगन से काम कर रहे हैं। सक्रिय ट्रेडमार्क की बड़ी मात्रा भारत को वैश्विक ब्रांड संरक्षण परिदृश्य में प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करती है, जो घरेलू नवाचार और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय ब्रांडों की बढ़ती मांग दोनों से ही लाभान्वित होती है।
क्षेत्रीय रुझान:
भारत में ट्रेडमार्क फाइलिंग का सबसे बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य (21.9 प्रतिशत), कृषि (15.3 प्रतिशत), और कपड़ा (12.8 प्रतिशत) जैसे क्षेत्रों से आया है। ये आंकड़े फार्मास्यूटिकल्स, खाद्य उत्पादन और फैशन जैसे क्षेत्रों में भारत के नेतृत्व को उजागर करते हैं। जैसे-जैसे भारतीय उत्पादों की वैश्विक मांग बढ़ती जा रही है, ब्रांड इक्विटी की सुरक्षा के लिए उपकरण के रूप में ट्रेडमार्क फाइलिंग का महत्व और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि भारतीय उत्पाद और सेवाएं अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त बनाए रखें।
वैश्विक आईपी रुझानों में भारत की स्थिति
विकास में योगदान:
भारत की बढ़ती आईपी फाइलिंग बढ़ी हुई बौद्धिक संपदा गतिविधि की वैश्विक प्रवृत्ति का महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। 2023 में, दुनिया भर में रिकॉर्ड 35 लाख 50 हजार पेटेंट आवेदन दायर किए गए, जिसमें भारत ने इस आंकड़े में सार्थक योगदान दिया। आईपी फाइलिंग के मामले में सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक के रूप में, भारत विशेष रूप से उभरते बाजारों में नवाचार और आईपी सुरक्षा में वैश्विक वृद्धि को बढ़ावा देने में मदद कर रहा है।
स्थानीय नवाचार की ओर बदलाव:
भारत में निवासी फाइलिंग की वृद्धि – विशेष रूप से पेटेंट और ट्रेडमार्क में – स्थानीय नवाचार की ओर बदलाव को दर्शाती है। जबकि वैश्विक आईपी फाइलिंग में पारंपरिक रूप से बहुराष्ट्रीय निगमों का वर्चस्व रहा है, भारत की बढ़ती निवासी फाइलिंग आत्मनिर्भर भारत अभियान के विचार से समर्थित परिपक्व घरेलू नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को दर्शाती है। अधिक भारतीय कंपनियां और व्यक्ति न केवल सुरक्षा के लिए, बल्कि स्थानीय और वैश्विक दोनों बाजारों में अपने प्रतिस्पर्धी लाभ को मजबूत करने की रणनीति के हिस्से के रूप में पेटेंट और ट्रेडमार्क दाखिल कर रहे हैं।
आईपी विकास को बढ़ावा देती सरकारी पहल
राष्ट्रीय आईपी नीति:
आईपी फाइलिंग में भारत की वृद्धि को संचालित करने वाला प्रमुख कारक राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) नीति है, जो 2016 में आरंभ की गई थी। यह व्यापक ढांचा भारत में बौद्धिक संपदा के विकास और सुरक्षा का मार्गदर्शन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह नीति आईपी जागरूकता में सुधार, आईपी पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने और आईपी सेवाओं एवं सुरक्षा तंत्र तक बेहतर पहुंच प्रदान करके नवाचार को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है। बौद्धिक संपदा के सभी रूपों – जैसे पेटेंट, ट्रेडमार्क, औद्योगिक डिजाइन, कॉपीराइट, भौगोलिक संकेत, और बहुत कुछ – को एकीकृत करके इस नीति का लक्ष्य अधिक मजबूत और कुशल आईपी वातावरण को बढ़ावा देना है। राष्ट्रीय आईपीआर नीति के तहत किए गए उद्देश्य और गतिविधियां:-
आईपीआर कानूनों में संशोधन: आवेदनों को प्रोसेस करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं में सुधार।
आईपी कार्यालयों का आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण: आईपी कार्यालयों के प्रदर्शन और कामकाज को बढ़ाने, वर्कफ़्लो को सुव्यवस्थित करने और प्रोसेस करने के समय को कम करना।
जागरूकता और शिक्षा: शैक्षणिक संस्थानों और व्यवसायों में आईपी जागरूकता फैलाने के लिए राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा जागरूकता मिशन (एनआईपीएएम) जैसे कार्यक्रम।
आईपी व्यावसायीकरण: आईपी फाइलिंग और पेटेंट और अन्य आईपी के व्यावसायीकरण का समर्थन करने के लिए विश्वविद्यालयों में प्रौद्योगिकी नवाचार सहायता केंद्र (टीआईएससी) की स्थापना।
समग्र शिक्षा और अकादमिया के लिए आईपीआर में शिक्षाशास्त्र और अनुसंधान योजना (एसपीआरआईएचए): इसका उद्देश्य पूरे देश में उच्च शिक्षण संस्थानों में आईपीआर शिक्षा को एकीकृत करना है। एसपीआरआईएचए योजना के तहत, बौद्धिक संपदा में विशेष अनुसंधान, शिक्षण और प्रशिक्षण की सुविधा के लिए विभिन्न विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में आईपीआर चेयर स्थापित किए गए हैं। ये आईपीआर चेयर संकाय सदस्यों और छात्रों को बौद्धिक संपदा, नवाचार में इसकी भूमिका और उद्योगों और समाज पर इसके प्रभाव पर अत्याधुनिक शोध में शामिल होने के लिए मंच प्रदान करती हैं।
भारत का वाइब्रेंट स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र देश की बढ़ती आईपी गतिविधि का अन्य प्रमुख चालक है। स्टार्ट-अप इंडिया, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया और अटल इनोवेशन मिशन जैसी सरकारी पहलों से भारत सरकार ने उद्यमिता, अनुसंधान और तकनीकी उन्नति को लगातार बढ़ावा दिया है। उद्यमिता को बढ़ावा देने, एक मजबूत स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने और भारत को नौकरी चाहने वालों के बजाय नौकरी देने वालों के देश में बदलने के लक्ष्य के साथ 16 जनवरी 2016 को स्टार्टअप इंडिया लॉन्च किया गया था। इस पहल में उभरते उद्यमियों को समर्थन देने के लिए डिज़ाइन किए गए विभिन्न कार्यक्रम शामिल हैं। इन प्रयासों का समन्वय स्टार्टअप इंडिया टीम करती है, जो उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) को रिपोर्ट करती है। 30 सितंबर, 2024 तक, डीपीआईआईटी ने आधिकारिक तौर पर 1,49,414 संस्थाओं को स्टार्टअप के रूप में मान्यता दी है।
2016 में स्थापित अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम), देश भर में नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की प्रमुख पहल है। एआईएम स्कूलों में समस्या-समाधान और नवीन सोच को बढ़ावा देने के लिए व्यापक दृष्टिकोण अपनाता है, साथ ही विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों और निजी और एमएसएमई क्षेत्रों में उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र भी बनाता है। अब तक, एआईएम ने देश भर के स्कूलों में 10,000 अटल टिंकरिंग लैब्स स्थापित की हैं, 3500 से अधिक स्टार्टअप अटल इन्क्यूबेशन केंद्रों में इनक्यूबेट किए गए हैं और पारिस्थितिकी तंत्र में 32000 से अधिक नौकरियां उपलब्ध कराई हैं।
ग्लोबल इनोवेशन पावरहाउस के रूप में भारत
2024 डब्ल्यूआईपीओ रिपोर्ट में भारत की उल्लेखनीय प्रगति बौद्धिक संपदा में उभरते वैश्विक नेता के रूप में इसकी भूमिका पर प्रकाश डालती है। पेटेंट, ट्रेडमार्क और औद्योगिक डिजाइन में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ, भारत वैश्विक नवाचार का केंद्र बन रहा है। इसकी निवासी फाइलिंग की बढ़ती संख्या नवाचार-अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र और सरकारी नीतियों द्वारा समर्थित घरेलू रचनात्मकता और आविष्कार की ओर बदलाव को दर्शाती है।
भविष्य को देखते हुए, भारत वैश्विक आईपी रैंकिंग में प्रगति जारी रखने के लिए तैयार है। देश की विविधतापूर्ण और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, अनुसंधान और विकास पर ध्यान के साथ, इसे वैश्विक आईपी परिदृश्य में अपनी मजबूत स्थिति बनाए रखने के लिए अच्छी स्थिति में बनाती है। जैसे-जैसे अधिक भारतीय कंपनियां और निर्माता अपने नवाचारों की रक्षा करेंगे, बौद्धिक संपदा में भारत की वैश्विक भूमिका का विस्तार जारी रहेगा।