
प्रयागराज: 2025 में प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ मेला का आयोजन शुरू होने वाला है, और यह 12 वर्षों में एक बार होने वाला यह महा पर्व सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। देश और विदेश से लाखों श्रद्धालु महाकुंभ के महत्व और उसकी परंपराओं को जानने में गहरी दिलचस्पी ले रहे हैं। लोगों की जिज्ञासा को देखते हुए मेला प्राधिकरण ने महाकुंभ 2025 के लिए एक आधिकारिक मोबाइल एप भी लॉन्च कर दिया है।
महाकुंभ 2025 एप से जानकारी होगी एक क्लिक में उपलब्ध
इस बार महाकुंभ के आयोजन से संबंधित सभी जानकारी एक एप के माध्यम से उपलब्ध होगी। गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड की जा सकने वाली इस एप में महाकुंभ के विभिन्न पहलुओं पर गहन जानकारी उपलब्ध कराई गई है। एप के माध्यम से श्रद्धालु महाकुंभ की परंपराओं, इतिहास और महत्व को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।
एप में महाकुंभ और कुंभ पर लिखी गई किताबों, विभिन्न संस्थानों द्वारा किए गए अध्ययनों और रिपोर्ट्स की जानकारी भी उपलब्ध है। इस एप में प्रयागराज के प्रमुख आकर्षण स्थलों का विवरण, शहर का परिचय, और शहर की प्रमुख हस्तियों के बारे में भी बताया गया है। इस एप में आईआईएम बेंगलुरु की ‘प्रयागराज महाकुंभ 2019’ की रिपोर्ट भी सम्मिलित की गई है, जो महाकुंभ का एकीकृत मूल्यांकन करती है।
प्रयागराज का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
प्रयागराज, जिसे प्राचीन शास्त्रों में ‘प्रयाग’ या ‘तीर्थराज’ कहा गया है, भारत के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। इसे ‘अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर’ का दर्जा दिया गया है। प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मानवता के सबसे बड़े सामूहिक आयोजनों में से एक माना जाता है। इस बार की तैयारियों में पेंट माय सिटी, स्वच्छ कुंभ, और प्रयागराज स्मार्ट सिटी जैसी परियोजनाओं को शामिल किया गया है, जिससे प्रयागराज को एक बेहतर और सुंदर शहर के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
श्रद्धालुओं और शोधकर्ताओं के लिए अनूठी सुविधा
महाकुंभ मेला 2025 एप विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद साबित होगा जो महाकुंभ पर शोध करना चाहते हैं। इसमें महाकुंभ पर प्रकाशित ब्लॉग्स और लेखों का संग्रह भी मौजूद है, जिसमें आईआईएम समेत अन्य संस्थानों द्वारा की गई प्रमुख रिपोर्ट्स शामिल हैं। इससे महाकुंभ के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आयामों को गहराई से समझने में मदद मिलेगी।
महाकुंभ 2025 के इस भव्य आयोजन के माध्यम से प्रयागराज की आध्यात्मिकता और आधुनिकता को देश और दुनिया के सामने पेश करने का प्रयास किया जा रहा है।