
पुणे: पुणे के गदम्बा भवन में स्वास्थकर्मियों के लिए “रेजुवनेटिंग मेडिकल माइंडस” इस विषय पर सम्मेलन आयोजित किया गया।
दीप प्रज्वलन द्वारा कार्यक्रम का उद्घाटन सम्पन्न हुआ।
ससून हॉस्पिटल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. यल्लपा जाधव ने कहा, की विश्व स्वास्थ संगठन ने चार प्रकार के स्वास्थ के विषय में कहा गया है – मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और आध्यात्मिक। आध्यात्मिक स्वास्थ के विषय में हम सभी डॉक्टर्स को जागरूक होने की बहोत जरुरत है, और ब्रह्माकुमारीज द्वारा आयोजित इस प्रकार के सम्मलेन द्वारा यह संभव है। आध्यात्मिक स्वास्थ्य और स्वस्थ जीवनशैली बीमारियों को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। आजकल डॉक्टर्स को भी काफी तनाव से गुजरना पड़ता है। इस तरह के आयोजन से डॉक्टर्स को मानसिक तनाव से दूर रहने में मदद मिलेगी।
ब्रह्माकुमारीज़, मेडिकल प्रभाग के अध्यक्ष ब्रह्माकुमार डॉ. अशोक मेहता ने “वैल्यूज इन हेल्थकेअर (विहासा) इस मॉडुलर ट्रेनिंग प्रोग्राम को स्पष्ट करते हुए कहा, की हम जिस भागदौड़ भरी दुनिया में रहते हैं, उसमें हर कोई खुश, सकारात्मक और उत्साहवर्धक व्यक्तियों के आस-पास रहना चाहता है। “विहासा” आपको ऐसा व्यक्ति बनने में सक्षम बनाता है। यह प्रतिभागियों को अपनी असफलताओं या कमियों का सामना करने के लिए साहस जुटाने और खुद को बेहतर बनाने के लिए इसका उपयोग करने के लिए प्रेरित करता है।
बीजे मेडिकल कॉलेज और ससून अस्पताल के डीन डॉ. एकनाथ पवार ने कहा की आज-कल डॉक्टर्स को भी विभिन्न समस्याओंसे गुजरना पड़ता है। ब्रह्माकुमारीज द्वारा आयोजित इस सम्मलेन से डॉक्टर्स को तनाव से मुक्त होने में अवश्य मदद मिलेगी। इस प्रकार के आयोजन बिच-बिच में होते रहे, ऐसी शुभ आशा उन्होंने अपने मनोगत में व्यक्त की।
जे. वाटूमल ग्लोबल हॉस्पिटल रिसर्च सेंटर, (माउंट आबू) के मेडिकल डायरेक्टर और ट्रस्टी डॉ. प्रताप मिड्ढा ने सम्मेलन का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए कहा, की हमें एक ऐसे स्वस्थ समाज का निर्माण करना है जिसमें कोई बीमार ना हो, ना तन से हो, ना मन से हो। ब्रह्माकुमारीज के मेडिकल प्रभाग द्वारा इस तरह के सम्मलेन आयोजित करने का मकसद यही है की, वर्तमान और भविष्य में आने वाली अनेकानेक बीमारी रूपी समस्याओं का समाधान करने के लिए सभी चिकित्सकों को साथ में आना जरुरी है, तभी बेहतर, स्वस्थ समाज का निर्माण संभव होगा।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, पुणे के अध्यक्ष डॉ. राजन संचेती ने अपना निजी अनुभव साँझा करते हुए कहा, की वह कुछ साल पहले अस्थमा के मरीज थे, नियमित प्रातः मेडिटेशन और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने से अब वह पूर्णतः स्वस्थ हो गए। उन्होने सभी डॉक्टर्स को निवेदन किया की, मरीज का इलाज करने के पहले अपने आप को फिट और फाइन रखे, और उसके लिए मेडिटेशन सीखना जरूर है।
ब्रह्माकुमारीज़, मेडिकल प्रभाग के सचिव ब्रह्माकुमार डॉ. बनारसीलाल साह ने प्रभाग की गतिविधियों के विषय में जानकारी सांझा करते हुए कहा, १९८४ में इस प्रभाग की स्थापना हुई, और आज देश-विदेश के लगभग ४५०० सीनियर डॉक्टर्स इस प्रभाग से जुड़े हुए है। भारत विश्वगुरु तभी बन सकता है, जब हमारे देश के युवा नाश-मुक्त हो सके। संस्था द्वारा सिखाये जाने वाले राजयोग मेडिटेशन से सहज नशामुक्त हो सकते है। एक अध्ययन में पाया गया कि कोरोनरी धमनी के रोगियों में राजयोग जीवनपद्धति अपनाने से हृदय संबंधी घटनाओं में काफी हद तक कमी आई है। आज तक १५००० लोगों पर यह प्रयोग सफल हुआ है।
महाराष्ट्र होम्योपैथिक फीमेल डॉक्टर्स एसोसिएशन की अध्यक्षा डॉ. दीपा शहा ने कहा, की जगदम्बा भवन के वातावरण से वे काफी प्रभावित हुए, भविष्य में इस स्थान पर अनेकानेक डॉक्टर्स को आमंत्रित करके समाज की सेवा करने के लिए प्रेरणा लेंगे। मेडिटेशन की जरुरत बहोत ज्यादा महिलाओं को है, क्यूंकि मेडिटेशन से ही अपने परिवार और व्यवसाय के बीच सही तालमेल बिठा सकते है।
जगदम्बा भवन के संचालिका ब्रह्माकुमारी सुनंदा दीदी ने कहा की इस दुनिया में सबसे बड़ा सर्जन है – परमपिता परमात्मा, जो आकर राजयोग ध्यान सिखाते है, जिससे मन कि बीमारियां भाग जाती है। उन्होंने डॉक्टर्स प्रति कहा की डॉक्टर्स माना “नेक्स्ट टू गॉड”, मरीज डॉक्टर्स के ऊपर पूरा विश्वास रखकर अपना इलाज कराते है। सभी डॉक्टर्स राजयोग ध्यान अवश्य सीखे और अपने मरीजों को भी ध्यान सीखने के लिए प्रेरित करे। मेडिटेशन और मेडिसिन के बैलेंस से हर इंसान सुखी बने, खुश रहे, तंदुरुस्त रहे।
ब्रह्माकुमारीज के मेडिकल प्रभाग के संयुक्त सचिव ब्रह्माकुमार डॉ. सचिन परब ने “हीलिंग थ्रू राजयोगा मेडिटेशन” इस विषय पर अपने विचार व्यक्त किये।
दिल्ली से पधारे प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट और मोटिवेशनल स्पीकर डॉ. स्वपन गुप्ता ने “पावर ऑफ़ थॉट्स” इस विषय पर अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम के अंत में डॉ. सरिता ने सभी को राजयोग मेडिटेशन से सभी को शांति की अनुभूति कराई।
कार्यक्रम का सूत्र-संचालन ब्रह्माकुमारी डॉ. शर्मीला बहन ने किया।
कार्यक्रम का लाभ लगभग १६० से भी ज्यादा सहभागियों ने लिया, जिसमे विभिन्न चिकित्साकर्मी, पैरामेडिकल स्टाफ और मेडिकल छात्र सम्मिलित थे।